Wednesday, September 28, 2016

उर उर में, बस बसी है, एक ही आग क्यूँ गिर रही, भारत के वीरों की लाश

उर उर में,  बस बसी है, एक  ही आग
क्यूँ गिर रही, भारत के वीरों की लाश

क्यूँ घट रही घटनाएं, क्यू फैला आतंकवाद
क्यूँ हो रहा है कर्फ्यू, और सन्नाटे का राज ।
क्यूँ भीग रही धरती, क्यूँ  सुर्ख़  है आकाश
क्यूँ गिर रही, भारत माँ  के वीरों की लाश  ॥

या सो रहे महकमें, या सुन्न है आवाज
या खेल है ये इनका, या खो गया अहसास ।
ये खोलते नहीं पत्ते, ये शतरंज की बिसात
रंग अलग है सबके, सबकी अलग ही है चाल
क्यूँ  हो रहे शहीद, भारत माता के लाल ॥

क्यूँ मिट रहीं  मांग, क्यूँ उजड़ गए सुहाग
क्यूं रो रहीं हैं माएँ ,क्यूँ बच्चे पूछते सवाल ।
कब आएंगे मेरे बापू,  सुनने बच्चों  हाल
क्यूँ भीगी  है वर्दी, हुई क्यूँ  रंग सुर्ख लाल
ऐसा हो रहा है क्यूँ, भारत माता का हाल ॥