सिर पटकती, फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
रह रही थी जिस महल में वहाँ ख़्वाबों का रेला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोंम सा पिघला है
यत्न करती, प्रयत्न करती, अब पश्चाताप का मेला है
चाँद, चांदनी, और पलंग, बस जज्बातों का फेरा है
फिर सिसकती, सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
नग्न पैर है, केश खुले है जीने का ढंग मेरा है
जीना था तेरी ख़ातिर अब मरना हक मेरा है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
सुन सुनहरी, सुन सुनहरी, यह जीवन मेला है
जीना था तेरी ख़ातिर अब मरना हक मेरा है
रूठ कर इन पत्थरों पर मेरा तन-मन डोला है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
अब खड़ी दरवाजे पर, जब मोक्ष बना तू मेरा है
ईश्वर नहीं अल्लाह नहीं सब कुछ तू मेरा है
इस जिस्म पर इस रूह पर हक केवल तेरा है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
जीना था तेरी ख़ातिर मरना हक अब मेरा है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
रह रही थी जिस महल में वहाँ ख़्वाबों का रेला है
देख दिल इस देवता का पत्थर मोंम सा पिघला है
यत्न करती, प्रयत्न करती, अब पश्चाताप का मेला है
चाँद, चांदनी, और पलंग, बस जज्बातों का फेरा है
फिर सिसकती, सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
नग्न पैर है, केश खुले है जीने का ढंग मेरा है
जीना था तेरी ख़ातिर अब मरना हक मेरा है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
सुन सुनहरी, सुन सुनहरी, यह जीवन मेला है
जीना था तेरी ख़ातिर अब मरना हक मेरा है
रूठ कर इन पत्थरों पर मेरा तन-मन डोला है
फिर सिसकती सिर पटकती पत्थरों ने बोला है
अब खड़ी दरवाजे पर, जब मोक्ष बना तू मेरा है
ईश्वर नहीं अल्लाह नहीं सब कुछ तू मेरा है
इस जिस्म पर इस रूह पर हक केवल तेरा है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
जीना था तेरी ख़ातिर मरना हक अब मेरा है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है
सिर पटकती फिर सिसकती पत्थरों ने बोला है
देख दिल इस देवता का,पत्थर मोंम सा पिघला है