ना रहे जज्बात दिल में, कुछ भी महसूस नहीं होता
जिंदगी जीने का मकसद केवल जीना नहीं होता
गर ना पड़े साया इस दिल में, किसी का दोस्तों
जिंदगी का मकसद कभी पूरा नहीं होता
हो सके तो जी लो यारों किसी का साथ ले कर
खुली आँखों से देखा हर ख्वाब पूरा नहीं होता
अब तुम्हे कैसे बताऊ मेरे यारों
कि तब कोई इस दुनिया में तन्हा नहीं होता
सोचता हूँ तेरे दर से निकले जनाज़ा मेरा झुक कर
पर हर दर का दरवाज़ा, तंग नहीं होता
कभी आना मेरी मज़ार पर मेरे यारों
क्यूंकि वहां पर किसी का संग नहीं होता
दो फूल पत्थर पर रख कर मेरे यार
फिर क्यूँ तेरे दिल को सुकूं नहीं मिलता
गर पलकों में तेरे अस्क ना आयें तो
मेरा मरना कुदरत को मंजूर नहीं होता
हाँ गर याद तुझे आये इस पागल की
तो दो आंसू गिराने से सागर कम नहीं होता
अब तो पर्दा ना कर मुझसे तू
क्योकि मर कर कोई जिन्दा नहीं होता
मेहराब पर आऊँगा तेरी मैं भंवरा बन कर
क्योकि भंवरे से कोई पर्दा नहीं करता
फूलों की खुशबू तो भँवरा ही बयां करता है
पर भंवरे की कोई क़द्र नहीं करता
देख कर तुझे आज मैं फिर से मर जाऊँगा
क्योकि भंवरे की मौत पर कोई सजदा नहीं करता
फिर क्यूँ तेरे दिल को सुकूं नहीं मिलता
गर पलकों में तेरे अस्क ना आयें तो
मेरा मरना कुदरत को मंजूर नहीं होता
हाँ गर याद तुझे आये इस पागल की
तो दो आंसू गिराने से सागर कम नहीं होता
अब तो पर्दा ना कर मुझसे तू
क्योकि मर कर कोई जिन्दा नहीं होता
मेहराब पर आऊँगा तेरी मैं भंवरा बन कर
क्योकि भंवरे से कोई पर्दा नहीं करता
फूलों की खुशबू तो भँवरा ही बयां करता है
पर भंवरे की कोई क़द्र नहीं करता
देख कर तुझे आज मैं फिर से मर जाऊँगा
क्योकि भंवरे की मौत पर कोई सजदा नहीं करता
No comments:
Post a Comment