इस ईमारत के कितने झरोखे,
रोशनदान है इसमें कितने,
भला मुझसे बेहतर कौन जानेगा ।
किस झरोखे से आती हवा,
सूरज की किरणे गुजरेंगी कहाँ,
भला मुझसे बेहतर कौन जानेगा ।
रखा है कीमती सामान कहाँ
कहाँ रखा कबाड़ कौन जानेगा
फिर से अब नहीं चटकते
वो बचपन के अल्लड किस्से
वो मीठे मीठे दादी के किस्से ।
नानी का वो रिसका कहना
मामी का वो नक्सा सहना
माँ के हाथों की मखाने की खीर
पिता ने दिलाये थे जो कमान व तीर
मामा की बत्तू की बातें
बाबा के नमकीन सत्तू
पड़ोस के वो बुड्डे दददू
वो दीवार का तिरछा कोना
जब पड़ता था झुक के निकलना
विद्यालय की कठिन पढाई,
जब दिखती थी सामत आई,
शुरू कर देता था पढाई
इसमें ही दिखती थी भलाई
भला इससे बेहतर मुझको कौन जानेगा
मुझसे ज्यादा मुझको कौन पहचानेगा
रोशनदान है इसमें कितने,
भला मुझसे बेहतर कौन जानेगा ।
किस झरोखे से आती हवा,
सूरज की किरणे गुजरेंगी कहाँ,
भला मुझसे बेहतर कौन जानेगा ।
रखा है कीमती सामान कहाँ
कहाँ रखा कबाड़ कौन जानेगा
फिर से अब नहीं चटकते
वो बचपन के अल्लड किस्से
वो मीठे मीठे दादी के किस्से ।
नानी का वो रिसका कहना
मामी का वो नक्सा सहना
माँ के हाथों की मखाने की खीर
पिता ने दिलाये थे जो कमान व तीर
मामा की बत्तू की बातें
बाबा के नमकीन सत्तू
पड़ोस के वो बुड्डे दददू
वो दीवार का तिरछा कोना
जब पड़ता था झुक के निकलना
विद्यालय की कठिन पढाई,
जब दिखती थी सामत आई,
शुरू कर देता था पढाई
इसमें ही दिखती थी भलाई
भला इससे बेहतर मुझको कौन जानेगा
मुझसे ज्यादा मुझको कौन पहचानेगा
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