Thursday, April 30, 2020

।। जिंदगी लाइफ आफ पाई की नेमसेक सी रह गई ।।

नीरव की कुशलता, आंखो की चपलता ।
आंखो की कार्यशाला, शब्दों की पाठशाला ।।

चांद से शांत, परंतु की, कांति का बखान ।
छोड़ गए तुम बद्री आकाशगंगा के ऋक्ष ।।

ना कोई दोहा ना चौपाई खुदकी छावनी बनाई।
कसूर रोग का है हासिल हुई मौत तुझे मकबूल।। 

ये साली जिंदगी खाली लंच बॉक्स सी बन गई।
जिंदगी लाइफ आफ पाई की नेमसेक सी रह गई ।।

बड़ी तेज भजते हो तुम पान सिंह तोमर ।
बड़ी तेज भजते हो तुम पान सिंह तोमर ।।

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