जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कुछ आड़े टेडें रास्तों का ताना बाना है।
कभी ये मंदिर की सीढ़ी
कभी ख़्वाजा की दरगाह का धागा है
जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कुछ बहते कुछ ठहरे पलों का अफसाना है ।
कभी ये सागर का शोर
कभी बारिश की बूंदों का खजाना है ।
जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कुछ बिखरे संवरते पलों का तराना है।
कभी ये रेत सा हल्का
कभी भारी चट्टान का ठिकाना है।
जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कुछ पल सपनों की यादों का खजाना है ।
कभी ये जेठ की तपन
कभी सावन के मोर का चहचहाना है ।
जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कुछ मिट्टी की खुशबू तो कीचड़ का गंधाना है।
कभी ये इत्र की महक
कभी इसे मैले कुचैल कपड़ों का गट्ठर कहलाना है।
जिंदगी एक ईट की दिवार नहीं,
यह तो एक आशियाना है
इसमें कभी सुर की मिठास कभी क्रंदन भी आना है ।
कभी ये राग - स्वर
कभी कर्कश ध्वनि का पैमाना है।
आज मैंने जाना है
खुद का मुजरिम हूँ मैं ये आज मैंने जाना है
जिंदगी बीते लम्हों का आशियाना है
मीनार नहीं इसमें
सी रहा हूँ घावों को
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