रूप श्रृंगार, ममता दुलार, औरत से संपूर्ण संसार
जीवन के पहले पग में, केवल तू थी मेरे जग में
तेरे आँचल की छाव में, जब कांटे लगे मेरे पाँव में
सारे दुःख भी खोया , जब भी प्यास लगी रोया मैं
एक ही झपकी में सोया, माँ तेरे आँचल की ठंडी छाव में
मेरे श्रद्धा सुमन तेरे पाँव में, मेरे श्रद्धा सुमन तेरे पाँव में ( माँ )
तुझमे मेरी है प्रेरणा, तुझमे मेरी अभिलाषा है
तू ही मेरे जीने का मकसद, तू ही मेरी आशा है
तू ही मेरे दिवा स्वप्न में तू ही है रात्रि पहर में
तू जीवन की एक झलक में, तू आँखों की पलक में
तेरे बिन इस धरा में, घुमा हूँ जैसे निर्जल में
तेरे बिन रैन बसेरा है तुझमे हक अब मेरा है ( प्रेमिका, पत्नी )
तुझसे सिखा मैंने प्यार, थोड़ी खुशियाँ ज्यादा प्यार
एक पल का रूठना एक पल है प्यार
खत्म करता है दीवार तुझसे ही नए जीवन की बहार
मेरी लाडो तेरा दुलार, मेरी लाडो तेरा दुलार ( बहन, बेटी )
खुशबू भी नहीं उपवन में, तरसे रैना, करे फुहार
तेरे बिन न बीते रैना सूना लगे सारा संसार
Beta, gazab ka hai be.
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